नवाब मलिक की कहानीः कबाड़ बेचने से कैबिनेट मंत्री तक का सफर

Nawab Malik life story: नवाब मलिक को समझ आ गया था कि राजनीति करनी है तो कांग्रेस के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वो फिर कांग्रेस के लिए काम करने लगे. उन्होंने कांग्रेस से 1991 में नगर निगम का टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला. फिर दिसंबर 1992 में बाबरी की घटना के बाद मुंबई में दंगे भड़क उठे. माहौल खराब था. उस समय नवाब मलिक ने अखबार निकालने की सोची और सांझ नाम से एक अखबार शुरू किया. लेकिन, बाद में आर्थिक तंगी के चलते ये अखबार बंद हो गया.

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