भगत सिंह खुद को नास्तिक कहते थे. वो कहते थे कि मेरे ईश्वर पर विश्वास नहीं करने का कारण मेरा अहं या घमंड नहीं है बल्कि उसकी कई वजहें हैं. हालांकि भगत सिंह ने लाहौर सेंट्रल जेल में चार सौ से ज्यादा पन्नों की एक डायरी लिखी थी. डायरी में लिखी पंक्ति में जिन 'परवरदिगार' और 'फरिश्ते' जैसे शब्दों का ज़िक्र हुआ है. उसका मतलब 'ईश्वर' और 'ईश्वर के दूत' ही है.
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