दास्तान-गो : आकाशवाणी गांव-गांव तक पहुंची, हबीब गांवों को रंगमंच पर ले आए

Daastaan-Go ; Habib Tanvir Death Anniversary : वे 80 के शुरुआती दशक में ही भोपाल को अपना स्थायी ठिकाना बना चुके थे. इस तरह कि उसकी साफ-सुथरी हवा में उन्होंने बरसों सांसे लीं. उसकी हवा में घुले ज़हर की जलन को भी उन्होंने भीतर तक महसूस किया. और आठ जून 2009 को उसी शहर की आब-ओ-हवा में जाकर कहीं घुल गए. हमेशा के लिए.

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