कव नह हत त नत त हम कभ नह हत- आलक धनव

2 जुलाई, 1948 को बिहार के मुंगेर में जन्मे आलोक धन्वा ने अपनी क्रांतिकारी रचनाओं की बदौलत अलग जगह बनाई है. आलोक धन्वा की कविताओं की गूंज समूचे हिन्दुस्तान में हुआ करती थी. धन्वा कवि होने से अधिक एक कवि कार्यकर्ता के रूप में ज्यादा पहचाने गए हैं. उनकी कविताओं में राजनीतिक परिदृश्य, आपातकाल, नक्सलबाड़ी से लेकर तमाम आंदोलन की झलक दिखलाई पड़ती है.

from Latest News देश News18 हिंदी https://ift.tt/PRgFXN7
Share on Google Plus

About mahesh shende

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

'थलापति' विजय की तमिलनाडू राजनीति में एंट्री से खलबली!, जानें क्या है कारण ?

तमिलनाडु की राजनीति में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) का दबदबा रहा है. कुल वोट प्रतिशत का 70...